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Hindu Scriptures For Bharat Dharmi Samaj

For the followers of Sanatan Dharm (Hindus )and Bhart Dharmi Samaj at large all secular and spritual knowledge is contained in the Vedas.In Sanskrit language every word has a root word in case of 'Veda' it is 'Vid' which means to know .Now to know what ,the answer is everything .Who am I ?what is my real Self i.e the Atman.What is Braham ?where do we go after dropping this body .Do we come back if yes how?These and many more FAQs are being addressed in Vedas .The knowledge became so immense that it became impossible to contain it and  pass it from one to another generation through 'Shravan 'memorise that through the oral traditions ,and reproduce when needed.

श्रवण की एक परम्परा रही आई है इसीलिए वेदों को श्रुति भी कहा गया यानी जिनका ज्ञान श्रवण के द्वारा प्राप्त किया गया है। 

And therefore this vast knowledge was compiled by a seer called Ved Vyas .His original name was krishna dvaipayan but since he divided this knowledge into four parts known as Rig ,Yajur ,Sama and Atharva Ved. He was known as 'Vyas '.The meaning of this word is to divide. The antonym of this word is 'Samas' meaning to combine .

The Vedas in Hinduism are considered eternal .These do not owe their authority to anyone ,as they are considered an authority unto themselves.They were never created ,have existed throughout time.Creation is considered infinite and eternal ,without a beginning or an end ,and so is God.

Hindus believe that Rishis,or seers ,received this knowledge from God , like an antennaa recieves radio signals.

Further each Veda contained four parts namely Samhitas ,Brahamans ,Aranyakas,and Upnishads .

Samhitas glorify God as in  Brahm Samhita ,Brahmans define Brahman(ब्रह्म) and explains procedures for performing rituals .

Aranyayks were compiled by and for forest dwellers ,developed primarily for the forest dwellers who devote their time in pursuit of the Supreme Identity .

Upnishads revolve around and defining Brahman .

Broadly Vedas have nearly three parts :

(१ )The rituals (कर्म कांड ) :वेदों का अस्सी फीसद हिस्सा इसी  कर्म काण्ड को समर्पित है।कुल अस्सी हज़ार श्लोक।  

(२ )Procedures for worship (उपासना कांड ):१६ फीसद उपासना काण्ड को तथा कुल १६ हज़ार श्लोक 

(३ )Essence of all knowledge (ज्ञान काण्ड ):चार फीसद ज्ञान काण्ड को। चार हज़ार श्लोक। 

कुलमिलाकर वेदों में एक लाख श्लोक हैं। 

शेष ग्रन्थ वेदों को आम जन तक लाने समझाने का प्रयास रहा है।इनमें शामिल हैं :

(१ )अठारह पुराण 

(२ )अठारह उपपुराण 

(३ )स्मृति ग्रंथ जैसे भागवद्गीता 

(४ )इतिहास जैसे महाभारत और रामायण जिसके अनेक संस्करण प्रचलन में रहे हैं। 

( ५ )उपनिषद :यूं इनकी संख्या अनंत बतलाई गई है हरेक वेद के साथ उपनिषद नथ्थी किये गए हैं जिन्हें वेदांत के नाम से भी जाना जाता है। सार भूत तत्व समझा गया है इन्हें वेदों का समस्त ज्ञान का। 

१०८ उपनिषदों की चर्चा आम तौर पर होती रही हैं इनमें से भी अधिक प्रकाश में वह ग्यारह उपनिषद आये हैं जिनकी चर्चा आदिशंकराचार्य ने भाष्य (टिकाएं )लिख कर की है। इन भाष्यों को शंकर भाष्य के नाम से जाना  गया है।
इसका मतलब यह नहीं है की शेष उपनिषद कम महत्व रखते हैं। सभी उपनिषदों में ब्रह्म (Brahman )को समझाया गया है। 

ब्रह्मसूत्र में ५५५ सूत्र हैं जिनका शेष ग्रंथों को बूझने में विशेष महत्व है। तमाम पारिभाषिक शब्दों की यहां व्याख्या है जिनका इस्तेमाल वेदों में एवं अन्यत्र हुआ है। 

पुराण में कथाओं के माध्यम से अन्यत्र कहीं कविताओं (श्लोकों )के माध्यम से इस ज्ञान को समझाने का प्रयास किया गया है।लब्बोलुआब यह है सनातन धर्म के समस्त ग्रंथ वेदों का खुलासा करने का प्रयास करते हैं फिर भी इस अनंत ज्ञान राशि की तह का अनुमान नहीं लगा सकें हैं।   

यहां साधना के तीन मार्ग बतलाये गए हैं इन्हें ही प्रस्थान त्रयी (Prasthan Tryaiee)कहा गया है :

(१ )ब्रह्मसूत्र 

(२ ) भागवद्गीता 

(३ )उपनिषद

भागवद गीता को स्मृति ग्रंथ कहा गया है महाभारत और रामायण को इतिहास।
बहुत कुछ छूटा होगा इस छोटे से  चिट्ठे (Blog Post ) में जो मेरे अल्पज्ञान का ही सूचक रहेगा। मात्र एक आधी अधूरी झलक ही आप देख पाएं हैं यहां।  

https://www.youtube.com/watch?v=uzT_v8w_Npc

There is only God and no second 

chrome-extension://bpmcpldpdmajfigpchkicefoigmkfalc/views/app.html
  




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