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zubaan Sambhaak Ke

हर्ष का विषय है अरविन्द केजरीवाल साहब अब नारायण सामी (वर्तमान मुख्यमंत्री ,पुडुचेरी )की ज़ुबान नहीं बोल रहे हैं। महिलाओं के लिए मुफ्त सवारी डीटीसी और क्लस्टर बसों में कामगार वर्ग के लिए एक अच्छा तोहफा ज़रूर है। उन्हें चंद वोट इस एवज़ फ़ालतू भी मिल सकते हैं। मगर उनकी उस जुबां का क्या हुआ जो पहले (चुनाव पूर्व संकल्प में ५,००० अतरिक्त बसों की )और बाद में १०,००० अतिरिक्त बसें डीटीसी के पाले में लाने की बात कह रही थी। आप को एक और बात के लिए भी बधाई अब आप पढ़े लिखों जैसी जुबां इस्तेमाल कर रहें हैं। लेकिन प्रदूषण के मामले में आप की बात में ज़रा भी वजन इसलिए नहीं है क्योंकि आप हैप्पी -सीडिंग की बात न करके धान की फसल के बचे खुचे अंश पराली के सर पर सारा वजन लाद रहें हैं। हमारा मानना है हमारी होनहार छात्रा (किशोरी अमनदीप )से जो किसानी को पर्यावरण के अनुरूप ले जाने वाली परम्परा की अग्रदूत बन गई है आप सीख लेते हुए कुछ हैप्पी सीडिंग सुविधाएं किसानों को मुहैया करवाने की बात कहते। इससे एक तरफ मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती दूसरी तरफ ६०- ७० फीसद तक रासायनिक खाद की बचत होती। ज़नाब ये परम्परागत किसानी ऑर्गेनिक फार्मिंग की और लौटने का वक्त है जुबानी जमा खर्च और वोट बटेरू जनप्रिय कदमों के अलावा भी कुछ नया कीजिये। आपका बड़ा एहसान होगा -दिल्ली को मास्क पहनाने से बचिए बचाइए ,जो दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित महानगरों में होड़ बनाये हुए है।नेशनल केपिटल रीजन का गाज़िआ -बाद इस मामले में सबसे अव्वल बना हुआ है।बधाई "आप ".
बस खुद को 'आप' औरों को 'तू 'कहने वाली जुबां को अब आप स्तेमाल नहीं कर रहें हैं इसके लिए आपकाआभार। 'आप' का वीरू भाई।

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