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कांग्रेस एक रक्त बीज

 कांग्रेस एक रक्त बीज  नेहरुवीय कांग्रेस ने आज़ादी के फ़ौरन बाद जो विषबीज बोया था वह अब वट -वृक्ष बन चुका है जिसका पहला फल केजरीवाल हैं जिन्हें गुणानुरूप लोग स्वामी असत्यानन्द उर्फ़ खुजलीवाल  एलियाज़ केज़र बवाल  भी कहते हैं।इस वृक्ष की जड़  में कांग्रेस से छिटकी तृणमूल कांग्रेस की बेगम बड़ी आपा हैं जिन्होंने अपने सद्कर्मों से पश्चिमी बंगाल के भद्रलोक को उग्र लोक में तब्दील कर दिया है।अब लोग इसे ममताबाड़ी कहने लगे हैं।  इस वृक्ष की मालिन एंटोनिओ मायनो उर्फ़ पौनियां गांधी हैं। इसे जड़ मूल उखाड़ कर चीन में रूप देना चाहिए। वहां ये दिन दूना रात चौगुना पल्लवित होगा।   जब तक देस  में  एक भी कांग्रेसी है इस देश की अस्मिता अखंडता सम्प्रभुता को ख़तरा है।कांग्रेस की दैनिक ट्वीट्स हमारे मत की पुष्टि करने से कैसे इंकार करेंगी ?   

‘Trees permit human beings to exist — they are miracles of s .. Read more at: http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/75211467.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst

https://timesofindia.indiatimes.com/trees-permit-human-beings-to-exist-they-are-miracles-of-science-and-of-art/articleshow/75211467.cms ‘Trees permit human beings to exist — they are miracles of s .. Read more at: http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/75211467.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst ‘Trees permit human beings to exist — they are miracles of s ..

अपने -अपने आम्बेडकर

अपने -अपने आम्बेडकर          ---------वीरुभाई  आम्बेडकर हैं सब के अपने , अपने सब के रंग निराले , किसी का लाल किसी का नीला , किसी का भगवा किसी का पीला।  सबके अपने ढंग निराले।  नहीं राष्ट्र का एक आम्बेडकर , परचम सबके न्यारे , एक तिरंगा एक राष्ट्र है , आम्बेडकर हैं सबके न्यारे।  हथियाया 'सरदार ' किसी ने , गांधी सबके प्यारे।  'चाचा' को अब कोई न पूछे , वक्त के कितने मारे।