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Showing posts from January, 2020

गज़ब है सच को सच कहते नहीं वह , क़ुरान औ उपनिषद खोले हुए हैं।

अकलियत की मार्फ़त ये शासन करना चाहते हैं भारत धर्मी समाज पर। इस पटकथा का लेखन और मंचन किस्तों में होता रहा है भले गोधरा (पटकथा अंक १ )के मुज़रिम सज़ा पा गए लेकिन एक मलिका जिसे सब  जानते हैं और जो  एक बड़ी राजनीतिक पार्टी की अध्यक्ष कमोबेश रही आईं है दिमाग उसका था या गुजरात का इस मामले को एक बार इसका अन्वेषण करने के लिए फिर खोला जा सकता है। असली कुसूरवार नित नए गुल खिला रहें हैं।  नागरिकता तो बहाना है असल काम अल्पसंख्यकों की आड़ में भारत को टुकड़ा टुकड़ा करने का रहा आया है इसी वजह से संविधानिक संस्थाओं को अदबदाकर तोड़ा और बदनाम किया जा रहा है काला कोट बनाम खाकी वर्दी उसका एक नमूना भर था। बाज़ जाने किस तरह हमसे ये बतलाता रहा , क्यों परिंदों के दिलों से उसका डर जाता रहा। मोदी को आये तो जुम्मा -जुम्मा आठ रोज़ हुए हैं :यह सिलसिला तो जयेन्द्र  सरस्वती  (भारत धर्मी समाज के एक प्रतीक पुरुष) -को कटहरे में घसीट कर लाने के साथ ही शुरू हो गया था। औरों को 'तू' खुद को 'आप 'कहने वाले 'आपिए ' अकेले शरीक नहीं रहें हैं इस साज़िश में इसमें वेमुला को आत्महत्या के  मुहाने तक लाने वाले मार

This religious segregation, the petitioners submitted, is without any reasonable differentiation and it is not only violates Article 14, but is also blatantly opposed to the Basic Structure of the Constitution. Supporters of CAA have argued that the exclusion of Muslims from the three countries is reasonable since Muslims are in a majority in the three countries and are hence not in danger of being persecuted for their faith.

शाहीन बाग़ से संविधान -शरीफ का पाठ  :काठ का उल्लू बने रहने का कोई फायदा ? नगर -नगर डगर- डगर हर पनघट पर  पढ़ा जा रहा है :संविधान शरीफ। ताज़्ज़ुब यह है ये वही लोग  हैं  जो केवल और केवल  क़ुरान शरीफ (क़ुरआन मज़ीद ,हदीस )के अलावा और किसी को नहीं  मानते -तीन तलाक से लेकर मस्जिद में औरत के दाखिले तक। ये वही मोतरमायें हमारी बाज़ी और खालाएँ जो हाथ भर का बुर्क़ा काढ़ लेती हैं घर से पाँव बाहर धरने से पहले।   कैसे हैं ये खुदा के बन्दे जो जुम्मे की नमाज़ के फ़ौरन बाद हिंसा में मशगूल हो जाते हैं -नागरिकता तरमीम क़ानून के खिलाफ।  कितना कौतुक होता है जब तीन साल की बच्ची से कहलवाया जाता है :आज़ादी आज़ादी लेके रहेंगे आज़ादी ज़िन्ना वाली आज़ादी। इस बालिका को क्या इसके वालिद साहब और अम्मीजान तक को इल्म नहीं होगा जिन्ना आखिर कौन था फिर वह तो पाकिस्तान चला गया था। (आप लोग भी आज़ाद हैं वहां जाने के लिए ). सब जानते हैं बंटवारा देश का उसी ने करवाया था यह कहकर मुसलमान हिंदू भारत के साथ नहीं रह सकता है। कितने ही उनके साथ चले भी गए थे।  उनकी मृत्यु के बाद १९४९ में ज़नाब लियाकत अलीखान (वज़ीरे खानम )ने ज़िन्ना के सेकुलर पाकिस्तान ख