Skip to main content

अपने -अपने आम्बेडकर

अपने -अपने आम्बेडकर 

        ---------वीरुभाई 

आम्बेडकर हैं सब के अपने ,

अपने सब के रंग निराले ,

किसी का लाल किसी का नीला ,

किसी का भगवा किसी का पीला। 

सबके अपने ढंग निराले। 

नहीं राष्ट्र का एक आम्बेडकर ,

परचम सबके न्यारे ,

एक तिरंगा एक राष्ट्र है ,

आम्बेडकर हैं सबके न्यारे। 

हथियाया 'सरदार ' किसी ने ,

गांधी सबके प्यारे। 

'चाचा' को अब कोई न पूछे ,

वक्त के कितने मारे। 

Comments

Popular posts from this blog

Read more at: http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/75211277.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst

https://timesofindia.indiatimes.com/the-tree-of-our-lives/articleshow/75211584.cms https://timesofindia.indiatimes.com/we-can-restore-one-trillion-trees-this-will-powerfully-slow-down-climate-change/articleshow/75211202.cms https://timesofindia.indiatimes.com/the-tree-of-our-lives/articleshow/75211584.cms Read more at: http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/75211277.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst Read more at: http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/75211277.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst

फिलाल (कांग्रेस में दूसरे दिन भी सुलगी चिठ्ठी की चिंगारी ,२६ अगस्त २०२० अंक )का साफ संकेत है ,पार्टी चिरकुट और गैर -चिरकुटों में बटती बिखरती दिख रही है।झाड़ू की तीलियों को समेटना अब मुश्किल लग रहा है

फिलाल (कांग्रेस में दूसरे दिन भी सुलगी चिठ्ठी की चिंगारी ,२६ अगस्त २०२० अंक )का साफ संकेत है ,पार्टी चिरकुट और गैर -चिरकुटों में बटती बिखरती  दिख रही है।झाड़ू की तीलियों को समेटना अब मुश्किल लग रहा है।  जो पार्टी चार पांच आदमियों (सदस्यों )की कमिटी भी बनाने में ऊँघ रही है उसमें नेतृत्व कैसा और कहाँ है ?किसी को गोचर हो तो हमें भी खबर करे।  डर काहे का अब खोने को बचा क्या है ?माँ -बेटे चिरकालिक हैं बहना को घास नहीं। जीजा जी परिदृश्य से बाहर हैं।  जयराम रमेश ,शशि  थरूर साहब ,कपिल सिब्बल ,मनीष तिवारी ,मुकुलवासनिक साहब ,नबी गुलाम आज़ाद साहब चंद नाम हैं जिनका अपना वज़ूद है ,शख्सीयत भी।  इनमें फिलाल कोई चिरकुट भी नहीं है।  राहुल को तो इस देश का बच्चा भी गंभीरता से नहीं लेता। हंसना हंसाना बाहें चढ़ाना उनकी राष्ट्रीय स्तरीय मसखरी का अविभाज्य अंग है।  पार्टी का टाइटेनिक न डूबे बना रहे हम भी यही चाहते हैं। ये दिखाऊ  जंगी जहाज बन के न रह जाए। वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा ,पूर्व प्राचार्य ,चोधरी धीरपाल पोस्टग्रेजुएट कॉलिज ,बादली (झज्जर )-१२४ -१०५ , हरियाणा